भारतीय काव्यशास्त्र – काव्य दोष
1. दोषों का विपर्यय को ही गुण किसने माना है
भरतमुनि
वामन
मम्मट
आनंदवर्धन
2. मृदु यानी मीठी लगै, बात कवि की उक्ति में कौनसा काव्य दोष है
अर्थ दोष
शब्द दोष
रस दोष
इनमें से कोई नहीं
3. इनमें से कौन शब्द दोष के अन्तर्गत नहीं है
पुनरूक्त दोष
व्याकरण विरूद्ध प्रयोग
अशिष्ट शब्द प्रयोग
अप्रचलित शब्द प्रयोग
4. ‘जो तत्व मुख्य अर्थ में बाधक होते है, उन्हें दोष कहते है – किसने कहा।
मम्मट
भरतमुनि
वामन
आनंदवर्धन
5. चिंतामणि ने कितने प्रकार के दोष मानते है।
तीन
चार
पाँच
दस
6. किसने ‘काव्यनिर्णय’ में ये पंक्तियाँ कहे —
दोष शब्द हूँ, वाक्य हूँ, रस अर्थ हूँ में होइ।
तेहि तजि कविताई करै, सज्जन सुमित जोइ।।
आचार्य भिखारीदास
चिंतामणि
वामन
आनंदवर्धन
7. किसने काव्य दोष के लिए 'अनौचित्य' शब्द का प्रयोग किया है
आनंदवर्धन
मम्मट
भरतमुनि
वामन
8. तद्दोषौ शब्दार्थो सगुणावनलं कृति पुनः क्वापि – किसका कथन है
आनंदवर्धन
भरतमुनि
वामन
मम्मट
9. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
आनन्दवर्धन --ध्वन्यालोक
राजशेखर-- काव्यमीमांसा
भट्टनायक-- हृदयदर्पण
अभिनवगुप्त--- अभिनवभारती
10. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
भरत मुनि --नाट्यशास्त्रम्
भामह --काव्यालङ्कार
दण्डी --काव्यादर्श
उद्भट –काव्यालङ्कारसारसङ्ग्रह
9. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
आनन्दवर्धन --ध्वन्यालोक
राजशेखर-- काव्यमीमांसा
भट्टनायक-- हृदयदर्पण
अभिनवगुप्त--- अभिनवभारती
10. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
भरत मुनि --नाट्यशास्त्रम्
भामह --काव्यालङ्कार
दण्डी --काव्यादर्श
उद्भट –काव्यालङ्कारसारसङ्ग्रह
भारतीय काव्यशास्त्र – काव्य दोष (KAVYA DOSH)